अलविदा दोस्त - शैलेश तुम ग्रांड मास्टर ही थे यार !!
11/03/2018 -तुम ग्रांड मास्टर ही थे शैलेश ! जीवन जीने की कला के ग्रांड मास्टर, अपने जीवन में कैसे अपनी क्षमताओं का सबसे बेहतर उपयोग करना, यह कोई तुम से सीखे ! तुमने अपने जीवन में जिन कठनाइयों का सामना किया और उसके बाद भी सम्मान हासिल किया ,तुमने जो मुकाम हासिल किया वह किसी भी सर्वश्रेष्ठ मानवीय उपलब्धि से कम नहीं है । तुम्हारा जाना मुझ जैसे ना जैसे कितने ऐसे लोगो के लिया एक बड़ा नुकसान है जो रोज अपने 100 प्रतिशत शारीरिक क्षमताओं के बाद भी साधारण सी उपलब्धि पर भी इतरा उठते है और छोटी सी मुश्किल से परेशान हो जाते है , तुम हमेशा प्रेरणा ना सिर्फ खुद महसूस करते थे बल्कि हमें भी प्रेरित करते है । मुझे याद है मेरे पहले हिन्दी लेख के बाद तुम्हारा संदेश जब तुमने मुझे हिन्दी में लेख लिखने के लिए खुशी व्यक्त की थी और उस एक संदेश नें मुझे हमेशा और लिखने के लिए प्रेरित किया ! ईश्वर तुम्हें अबकी बार एक सम्पूर्ण जीवन प्रदान करे ताकि मानवता को तुमसे एक नयी दिशा मिले ! बहुत याद आओगे ! अलविदा दोस्त ।

